महाराज सूर्यकान्त जी से मदत की याचना
यह कहानी का तीसरा भाग है। इस कहानी को मैंने 9 भागों में बाँटा है। मुझे इन 9 शब्दों (राजा, शैतान, सेना, प्रजा, हाथी, घोडा, भाला, झंडा, लड़ाई) से कहानी बनाने का टास्क मिला था । जिस कहानी को मुझे दो पन्नों में लिखना था वह 2 , 3 , 4 , 5 . . . . करते करते रजिस्टर के 30 पन्नों की बन गयी। यह 30 पन्ने अचानक नहीं लिखे गये क्योंकि कई बार बिच बिच में मैंने इस कहानी को लिखना छोड़ दिया था , फिर वह गैप कभी कभी एक दो महीनों की भी हो जाती थी । मै लिखता गया , लिखता गया , लिखता ही गया …….. और इसी लिखने के सफ़र में एक साल कैसे निकल गया मुझे पता ही नहीं चला। ऐसे करते करते आख़िरकार इस कहानी को मैंने अंतिम मुक़ाम तक पहुंचा ही दिया। इस कहानी के चित्र मैंने और मेरी मम्मी ने बनाये , जिसे करीबन दो महीने लगे थे। आशा करता हूँ की आप इस कहानी के सारे भाग पढ़ेंगे और इसका लुफ़्त भी उठाएंगे। आपके सुझाव मुझे भविष्य में और बेहतर लिखने के लिए प्रेरणा देंगे।
आरव राउत
जासूस आगे कहता है की जादूगर अकरम की यह बात सुनकर वो दोनों जादुई सैनिक भड़क जाते है और फिर से जादूगर अकरम को मारना शुरू कर देते है। जादूगर अकरम को मरने के डर से मजबूरन ये भी बताना पड़ा की उसने राजा सुदीर को ये जादू बता दिया है। यह बात सुनकर वो दोनो जादुई सैनिक जादूगर अकरम को उग्रदेश की सिमा पर ही छोड़ कर ये ख़बर उग्रराज को बताने दौड़े और इस तरह उग्रराज को यह बात पता चली है। जासूस ये भी कहता है की उस जादूगर अकरम ने अपना काम अच्छे से कर लिया है अब आपकी बारी है। यह कहकर जासूस अपने जासूसी के काम पे निकल जाता है ।

राजा सुदीर ने सोचा की अब काम बहुत जल्दी करना पड़ेगा, अब मेरा राज्य बचाने के लिए बस एक महीना ही है। उसके चंद ही मिनिटों के बाद एक सन्देश वाहक आया और उसने वह सारी जानकारी बता दी जो राजा सुदीर को चाहिए थी। उसने कहा की उग्रराज पांच दिनों के बाद अपने राज्य में अपनी प्रजा को देखने आएगा और उसके साथ कुछ जादुई सैनिक भी रहेंगे, और जहा तक अमीर लोगो की बात है वह राज्य में कहीं नहीं घूमते ज्यादातर देर वह अपने घर में, नहीं तो एक खास जादुई बगीचे में जाते है। वहां पर आम लोग तो बिल्कुल नहीं जा सकते सिवाय अमीर लोगो के क्योकि उसके अंदर जाने का दाम बहुत ज्यादा है और ये दाम सिर्फ अमीर लोग ही दे सकते है। तभी राजा सुदीर ने पूछा की उन अमीर लोगों का पता और बगीचे का पता क्या है? सन्देश वाहक ने कहा की ये बात आपको उग्रदेश में जाकर वहाँ के जासूसों से पता चल जाएगी। फिर राजा सुदीर ने अपने सभी वफादार साथियों को बुलाया और उनसे कहा की हमें पांच दिनों तक अपना काम ख़तम करना पड़ेगा, अगर तब तक नहीं हुआ तो छटे दिन हम अपना काम नहीं कर सकते। फ़ौरन हमारे ससुर सूर्यकान्त जी को एक खत भेजो जिसमे लिखा हो की मुझे आपकी कुछ दिनों के लिए जरुरत है इसलिए आप फ़ौरन मेरे सौम्य देश में आइए।

राजा सुदीर को और उसके ससुर जी को गुप्त संदेश भिजवाने की कला आती है और वो उसमे माहिर भी है राजा सुदीर ने वो सन्देश एक ऐसे कागज पे लिखा जिसको आग के ऊपर गर्म करने से वो गुप्त संदेश धीरे धीरे दिखने लगता है। इसलिए राजा सुदीर ने वो लिखा हुआ खत अपने पास मंगवाया और उसपे गुप्त संदेश लिखा और वो महाराज सूर्यकान्त जी को भेज देता है।
महाराज सूर्यकान्त के पास वो संदेश कुछ ही घंटो में पहुंच गया और उन्हें भली भांति पता है की राजा सुदीर भी गुप्त सन्देश लिखने में माहिर है, इसीलिए वो लिखा हुआ सन्देश पढ़कर उस कागज को गरम करने के लिए भेज देते है। गर्म होने के बाद उन्होंने वो कागज मंगवाया। राजा सुदीर ने उसपे लिखा था की –
महाराज सूर्यकान्त जी मुझे आपकी बहुत जरूरत है क्यों की मेरे राज्य पे खतरा मंडरा रहा है मुझे उग्रदेश के गोटासुर को लेकर उसे पहले जैसा जीन्न बनाना है क्यों की वह किसीको भी ख़तम कर सकता है अगर हमने गोटासुर को जिन्न बना दिया तो मेरे, आपके और हमारे रिश्तेदारो के राज्यो पे कोई खतरा नहीं रहेगा। मैंने आपको इसलिए बुलाया है क्यों की मुझे आप पे सबसे ज्यादा भरोसा है। अगर आप को अपने राज्य की पीढ़ियों तक सुरक्षा चाहिए तो आप ऐसा ही एक गुप्त संदेश मुझे भेजो।
राजा सुदीर
यह पढ़कर महाराज सूर्यकान्त ने राजा सुदीर के ही जैसे एक कागज पर लिखा की –
मैं एक दो दिन तक आ जाऊंगा, तब तक राजा सुदीर तुम अपना काम जारी रखो मेरी चिंता मत करो
महाराज सूर्यकान्त
राजा सुदीर के पास ये सन्देश भी जल्दी ही पहुंच गया। राजा सुदीर ने भी महाराज के जैसे ही किया और उन्हें गुप्त सन्देश दिख गया। राजा सुदीर ने अपने वफादारों को बुलाया और उनको पूछा की जासूसों के पास उग्रदेश में रहने के लिए एक घर है क्या ? लेकिन इसके बारे में किसी को पता नहीं था। तो राजा सुदीर ने एक व्यक्ति को बुलाया जिसका नाम खब्जूस है, खब्जूस के पास उग्रदेश के जासूसों की सारी खबरें रहती है। खब्जूस से भी राजा सुदीर ने वही सवाल पूछा जो उसने वफादारों को पूछा था, उसने हाँ में जवाब दिया तो फिर राजा सुदीर अपने वफादारों से कहता है की तुम्हे पता ही होगा की किसी भी राज्य का राजा उग्रराज की अनुमति के बगैर उग्रदेश में घुस नहीं सकता और वो मुझे तो बिल्कुल नहीं जाने देगा, मुझे देखते ही मार देगा इसलिए मुझे और तुम्हें उस राज्य में छिपकर जाना होगा।
अगले भाग में पढ़िए – “चकमक चकमक ची ची चू चू, बदल जाए यह मेरा मुँह”



















