यह कहानी का पहला भाग है। इस कहानी को मैंने 9 भागों में बाँटा है। मुझे इन 9 शब्दों (राजा, शैतान, सेना, प्रजा, हाथी, घोडा, भाला, झंडा, लड़ाई) से कहानी बनाने का टास्क मिला था । जिस कहानी को मुझे दो पन्नों में लिखना था वह 2 , 3 , 4 , 5 . . . . करते करते रजिस्टर के 30 पन्नों की बन गयी। यह 30 पन्ने अचानक नहीं लिखे गये क्योंकि कई बार बिच बिच में मैंने इस कहानी को लिखना छोड़ दिया था , फिर वह गैप कभी कभी एक दो महीनों की भी हो जाती थी । मै लिखता गया , लिखता गया , लिखता ही गया …….. और इसी लिखने के सफ़र में एक साल कैसे निकल गया मुझे पता ही नहीं चला। ऐसे करते करते आख़िरकार इस कहानी को मैंने अंतिम मुक़ाम तक पहुंचा ही दिया। इस कहानी के चित्र मैंने और मेरी मम्मी ने बनाये , जिसे करीबन दो महीने लगे थे। आशा करता हूँ की आप इस कहानी के सारे भाग पढ़ेंगे और इसका लुफ़्त भी उठाएंगे। आपके सुझाव मुझे भविष्य में और बेहतर लिखने के लिए प्रेरणा देंगे।
आरव राउत
एक राजा था जिसका नाम सुदीर था जो सौम्य देश पे राज करता था। राजा सुदीर अपनी प्रजा से बहुत प्यार करता था। सौम्य देश की सीमा के पास उग्रदेश नाम का एक जादुई देश था। वह बहुत खतरनाक और निर्दयी राज्य था जो की उसके नाम से ही पता चलता है। उग्रदेश के पास बहुत बड़ी तादाद में जादुई हाथी, जादुई घोड़े और एक कभी न मरने वाला खूंखार राक्षस था जिसका नाम गोटासुर था। वह किसी को भी मार सकता था, वह पूरी दुनिया पर राज कर सकता था लेकिन उसे उग्रदेश के राजा उग्रराज ने अपने जादू से कैद कर रखा था और उसको अपने वश में करना चाहता था। पर गोटासुर पहले से ही ऐसा नहीं था।

उग्रदेश के पड़ोसी राज्य जिसका नाम मृदुदेश था उनके पूर्वजों ने एक जिन्न को अच्छे कामो के लिए बनाया था लेकिन तभी उग्रराज ने मृदुदेश पर हमला कर दिया और उस जीन्न को छीन लिया और उसे गोटासुर बना दिया। यह बात राजा सुदीर को पता थी इसलिए वह हर वक्त सतर्क रहता था की कही उग्रदेश सौम्य देश पर हमला न कर दे। राजा सुदीर के पास सेना कम थी लेकिन जांबाज थी फिर भी उग्रदेश की जादुई सेना के सामने नहीं टिक पाती। जादुई सेना की पूरी गिनती 5 लाख होगी और राजा सुदीर की उससे 4 लाख कम मतलब 1 लाख। राजा सुदीर के महल के नीचे बहुत सारी सुरंगे थी और वह सुरंगो में बहुत सारा गोला बारूद और कई सारे हथियार रखता था।

वह हथियार बहुत ताकतवर थे लेकिन जादुई हथियारों के सामने चाय कम पानी थे। राजा सुदीर को अपने राज्य की बहुत चिंता हो रही थी। राजा सुदीर भगवान पर बिलकुल विश्वास नहीं करते थे तो वो मदत भी मांगे तो किससे ?

उसने सोचा की उसकी पत्नी सुर्यांशी के पिता महाराज सूर्यकांत जी एक बड़े राज्य के राजा है और उनके पास 2 लाख की सेना है इसलिए वह अपने ससुर जी के राज्य में 11 अंगरक्षको के साथ प्रवेश करता है। राजा सुदीर के ससुर जी सूर्यकांत , राजा सुदीर का धूमधाम से स्वागत करते है और राजा सुदीर को महाराज अपनी पूरी फौज भी दे देते है। अब राजा सुदीर के पास 3 लाख की फौज है लेकिन राजा सुदीर को उग्रदेश को हराने के लिए 6 लाख की फौज चाहिए थी। राजा सुदीर को पता था की इतनी बड़ी फौज जमा करना उनके बस की बात नहीं है, पर उसको ये पता था की उग्रराज के कैद में बंद गोटासुर को अच्छा बना सकते है, वह हमारी मदत कर सकता है। फिर राजा सुदीर एक अच्छे जादूगर के पास जाता है जिसका नाम जादूगर अकरम था, वो भी राजा सुदीर के जैसा ही था।

भगवान पे बिलकुल विश्वास नहीं करता था, वह अपना जादू सिर्फ अच्छे कामो के लिए इस्तेमाल करता था। जादूगर अकरम के पास एक खास जादू था, गोटासुर को छुड़ाने का और फिरसे जिन्न बनाने का . . . . .
अगले भाग में पढ़िए – उग्रदेश में जाने की योजना (2 of 9)

Nice story.. Looking forward to see other parts of the story
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Loved the first part and loved the drawings also. It’s nice to know that your two pages task has been converted into so many pages. Keep it up Aarav!
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Eager about next part of the story…..
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Very nice Aarav 👌👌👌👌👌
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खूप छान लिहिलं आहे आरव. गोष्टीत पुढे काय होणार आहे याची उत्सुकता लागली आहे. लवकरात लवकर दुसरा भाग पाठविणे. गोष्टीत वाक्प्रचारांचा उपयोग छान केला आहे आणि चित्रांकन मस्त👍👍👌.
Keep it up.
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Awaited for next part….😃✌
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It is very interesting and well written story….. it creates real scenes while reading …… Well done…… Aarav.
I am excited and waiting for remained parts of the story…… Keep it up …… 👍👌
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Khup Chan…👏👏.pudhachya bhagachi aaturtene waat baghat ahe….lawakarat lawkar post Kara hi vinanti…
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Reblogged this on Jigyasa Institute of Learning and Development.
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Good
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