राजा सुदीर की साहस कथा -(Part 2 of 9)

उग्रदेश में जाने की योजना

यह कहानी का दूसरा भाग है। इस कहानी को मैंने 9 भागों में बाँटा  है। मुझे इन 9 शब्दों (राजा, शैतान, सेना, प्रजा, हाथी, घोडा, भाला, झंडा, लड़ाई) से  कहानी बनाने का  टास्क मिला था । जिस  कहानी को  मुझे दो पन्नों में लिखना था वह 2 , 3 , 4 , 5 . . . .   करते करते रजिस्टर के 30 पन्नों की बन गयी।  यह 30 पन्ने अचानक नहीं लिखे गये क्योंकि कई बार बिच बिच  में मैंने इस कहानी को लिखना छोड़ दिया था , फिर वह गैप कभी कभी एक दो महीनों की भी हो जाती थी ।  मै  लिखता गया , लिखता गया , लिखता ही गया ……..   और इसी लिखने के सफ़र में एक साल कैसे निकल गया मुझे पता ही नहीं चला।  ऐसे करते करते आख़िरकार इस कहानी को मैंने अंतिम मुक़ाम तक पहुंचा ही दिया। इस कहानी के चित्र मैंने और मेरी मम्मी ने बनाये , जिसे करीबन दो महीने लगे थे। आशा करता हूँ की आप इस कहानी के सारे भाग पढ़ेंगे और इसका लुफ़्त भी उठाएंगे। आपके सुझाव मुझे भविष्य में और बेहतर लिखने के लिए प्रेरणा देंगे।  

आरव राउत 

अब राजा सुदीर का एक सवाल तो मिट गया की गोटासुर को कैसे छुड़ाए और जिन्न बनाए पर उसको एक और सवाल सता रहा था वह यह था की उग्रदेश की सिमा के अंदर पहुंचे कैसे ? राजा सुदीर फिरसे जादूगर अकरम के पास जाता है और बोलता है कि अकरम तुम  मुझे एक ऐसी चीज दो जो मेरे शरीर के सम्पर्क में आने से मेरा शरीर किसी को ना दिखे लेकिन मै सबको देख सकू।  जादूगर अकरम के पास वो चीज थी जिसका नाम जादुई चादर  था, पर उस जादुई चादर  की एकमात्र कमी थी, वह सिर्फ और सिर्फ उग्रदेश के सामान्य लोगों को नहीं दिखेगी लेकिन वहां के अमीर लोग, उग्रराज और उसके जादुई सैनिकों को धुंधली सी आकृति दिखेगी। जादुई चादर  की कमी जादूगर अकरम ने राजा सुदीर को तुरंत बता दी।  राजा सुदीर के मन में एक ख़याल आया की जादुई लोगों से तो पीछा छूट गया है लेकिन उग्रराज, उसके जादुई सैनिक और उग्रदेश के अमीरो से नहीं ।  इसका हल निकालने के लिए राजा सुदीर सोचते  रहे, सोचते रहे की इसके आगे क्या किया जाए।  वह एक दो दिन तक ऐसा ही करते रहे, ना अच्छे से सोये , ना अच्छे से खाना खाया, इतनी मेहनत के बाद राजा सुदीर के दिमाग में अचानक एक योजना आई।

उन्होंने सब वफादार एवं ताकतवर सैनिकों को कहा की सभी जासूसों को बता दो जो उग्रदेश में है, की वहाँ के सभी अमीर लोगों का रहने का स्थान, घूमने का स्थान पता करो और ये भी पता करो कि उग्रराज और उसके जादुई सैनिक राज्य में कब, किस दिन, किस वक्त आने वाले है। राजा सुदीर ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि यही तीनों लोगों को जादुई चादर  में से एक धुंधली सी आकृति दिखती है।  राजा सुदीर ने कहा जैसे ही आप लोगों को जानकारी मिलती है तुरंत मुझे बता देना।

राजा सुदीर को खबर सुनाते हुए जासूस

एक हफ्ते बाद राजा सुदीर का एक जासूस आया और उसने कहा राजा सुदीर मुझे एक खास ख़बर मिली है और मुझे लगता है की  आपको यह ख़बर अकेले में ही सुननी चाहिए अगर दूसरों ने यह खबर सुन ली तो सब लोग हमारा राज्य छोड़ कर चले जाएंगे। राजा सुदीर ने कहा एकांत – तो सभी दरबार के मंत्री चले जाते है सिवाय जासूस के। फिर जासूस अपनी ख़बर बताना शुरू कर देता है ।  वह कहता है –  महाराज मुझे यह ख़बर उग्रदेश के महल में रहनेवाले  जासूस से पता चली है, उसने कहा की –

“उग्रराज ने खुले दरबार में ये एलान किया की राजा सुदीर हमसे हमारा गोटासुर छीनने वाला है, हमें सतर्क रहना होगा  और अगले एक महीने के  बाद लढ़ाई की तैयारियां शुरू की जाये”।

राजा सुदीर का एक जासूस

राजा सुदीर को झटका सा लगता है , वे पूछते है की उग्रराज को ये कैसे पता चला कि हम उनका गोटासुर चुराने वाले है।  जासूस ने कहा की ये सब जादूगर अकरम ने बताया है। राजा सुदीर ने पूछा की वो ये सब कैसे बता सकता है ? वह तो नेक इंसान है।

उग्रराज

जासूस ने कहा की उसे कुछ जादुई सैनिको ने पकड़कर बेरहमी से मारा, इस मार को सह नहीं सका इसलिए उसे बताना ही पड़ा।  राजा सुदीर ने पूछा की कहाँ पर मारा उसे? जासूस बोलता है कि जादूगर अकरम उग्रदेश की सीमा पर घूमने गया था तभी उसके सामने दो जादुई सैनिक आए और पूछा की तुम कौन हो ? जादूगर अकरम ने कहा मेे  राजा सुदीर के राज्य में रहने वाला एक रहिवासी हूँ और मै एक जादूगर भी हूँ। उन दो जादुई सैनिको ने कहा की तुम उस छोटे से राज्य में क्यों रहते हो हमारे राज्य में रहो और हमारे जैसे बन जाओ। जादूगर  अकरम ग़ुस्से में आकर बोला की मै राजा सुदीर का वफ़ादार जादूगर हु और रही तुम्हारे साथ मिल जाने की बात वो तो मै कभी नहीं करूँगा और वैसे भी मै एक अच्छा जादूगर हु तुम जैसा बुरा नहीं। जादूगर अकरम के  बेइज़्ज़ती करनेसे उनको बहुत ग़ुस्सा आया और उन्होंने अपने जादू से एक कमरा बनाया और उन्होंने जादूगर अकरम को अंदर ले जाकर बहुत मारा, बहुत सवाल पूँछे। इसी बिच में उन्होंने ये भी पूछा की तुम्हे कौन से कौन से जादू आते है ? जादूगर सच में सच सच बता रहा था तभी उसका बताना ख़तम हो गया और वो थोड़ी देर रुक गया, उसी वक्त एक सैनिक ने कहा ‘और कौन कौन से जादू आते है’ तो गलती से जादूगर अकरम ने ये जादू भी बता दिया जो उसने आपको बताया था राजा सुदीर, ऐसा जासूस ने कहा।

अगले भाग में पढ़िए – महाराज सूर्यकान्त जी से मदत की याचना 

Published by aaravraut

मैं अमरावती (महाराष्ट्र) से आरव राउत हूं। मै शुरू से ही एक प्रिंट-समृद्ध वातावरण में बड़ा हुआ, यही कारण था कि पढ़ने और लिखने की दिशा में मेरी प्रवृत्ति विकसित हुई। मेरी मातृभाषा मराठी है। हिंदी दूसरी भाषा है, जिसे मैंने दिल्ली में सुनना और अध्ययन करना शुरू किया जब मेरे पिता महाराष्ट्र से दिल्ली स्थानांतरित हो गए, मैं उस समय केवल 6 वर्ष का था। डायरी के ये पृष्ठ इस अर्थ में बहुत खास हैं क्योंकि यह मेरे द्वारा कक्षा 2 से ही लिखें गए है। मैं एजुकेशन मिरर का सबसे छोटा लेखक हूं जो एक ऑनलाइन शिक्षा संगठन है। जब मेरी दो डायरियाँ प्रकाशित हुईं, तो मैं दूसरी कक्षा में पढ़ रहा था। मैं हिंदी, मराठी के साथ ही अंग्रेजी भाषा में भी लिखता हूं। मुझे यात्रा करना, किताबें पढ़ना और नए विचारों पर काम करना पसंद है। घर पर, मुझे हमेशा अपने मन की बात लिखने की आजादी थी, मैं कभी भी उपदेशक बातें लिखने के लिए मजबूर नहीं था। यही कारण था कि मैंने जल्द ही पढ़ना और लिखना सीख लिया। बचपन में, मैंने लेखन की तकनीकी चीजों को समझा। मुझे याद है कि जब मैं कक्षा 1 (संत मैथ्यूज पब्लिक स्कूल, पश्चिम विहार, दिल्ली) में पढ़ रहा था, तब से मैंने लिखना शुरू किया। पहली बार मैंने 5 अप्रैल 2017 को लिखा था और तब से मैंने कई विषयों पर लिखा और मैंने अपने लेखन के सभी पृष्ठों को संजोकर रखा है। मेरे लेखन की यात्रा के दौरान, मुझे कभी भी किसी भी गलती के लिए बाधित नहीं किया गया था, मेरे माता-पिता चाहते थे कि मैं किसी भी व्याकरण में फंसे बिना लिखूं। इसी बात ने मुझे लिखने के लिए प्रोत्साहित किया क्योंकि मुझे पता था कि अगर कुछ गलत हुआ तो माँ / पिता कुछ नहीं कहेंगे। मैं किसी विषय के बारे में बहुत विस्तार के साथ एक पृष्ठ या कई पृष्ठ लिखता हूं।अगर मेरे द्वारा लिखे गए विषयों को देखा जाए, तो बहुत विविधता है।cc

17 thoughts on “राजा सुदीर की साहस कथा -(Part 2 of 9)

  1. खुप छान लिहिलंस आरव एखादया मोठय़ा लेखकाने लिहिल अस वाटतय. 3भाग वाचायची उत्सुकता आहे.

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  2. Great job Aarav , We appreciate the theme of the story. You have linked the parts very effectively.. Best wishes from Dr Kshitij Patankar & family

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