भूतनी का सपना

१५ सितम्बर २०१९ की रात मै जल्दी ही सो गया। उस रात को मैने  एक भूतनी का सपना  देखा। सपने में मै थोड़ी देर खेलता रहा तब सपना शुरू नहीं हुआ था। जब मैंने कुछ देर खेल लिया उसके बाद मेरा सपना शुरू हुआ।

सपने में मैंने देखा की मै खेलने के बाद घर जा रहा था।  घर जाते वक्त मुझे बीच में बहुत डर लग रहा था, तब मैंने एक भैया को बोला की मुझे घर तक छोड़ दो। उस भैया का नाम अभिषेक था।  तो उन्होंने मुझे गार्ड के पास छोड़ दिया।  उन्होंने बोला मैंने दिए हुए चॉकलेट घर पे खा लेना।  उसके बाद मै घर जाते वक्त फिर डर  गया तो मैंने एक भैया को बोला आप मुझे घर छोड़ दोगे क्या?  तो उन्होंने हा बोला।  उनको दुसरो की मदत करना अच्छा  लगता है।  जाते  वक्त मै आगे आगे चल रहा था और वह भैया पीछे पीछे चल रहे थे। उस भैया का नाम सोहम था।

फिर उन्होंने बोला अब इसके आगे तुम ही जाओ। मैंने उसके आगे एक कदम रखा तभी मैंने एक झूले पे गोला देखा तो मै इतना चिल्लाया….इतना चिल्लाया की सारी सोसाइटी को आवाज गया पर वहा कोई नहीं आया।  वहा सोहम भैया भी मेरे पीछे ही खड़े थे। जब मै चिल्लाया था तब मेरे  सामने एक भूतनी एक किले पे खड़ी थी।

उस भूतनी के दो हाथ, दो पैर और उसकी एक लकड़ी की नाक थी। उसका एक असली मुँह और एक कंकाल का मुँह था और एक गर्दन और उसके फटे हुए कपडे थे। सोहम भैया उस भूतनी से डर  गए और एक इमारत के पीछे छुप गए। पर मै उस भूतनी से थोड़ा ही डरा।  उस भूतनी के नाक का रंग भी हमारे रंग जैसा ही था। मुझे लगा वह मुझे मारना चाहती है पर वह तो सिर्फ मेरी आँखे लेना चाहती थी। मै उसका पहला शिकार था। उसे सब  दिख सके इसलिए वह मेरी आँखे लेना चाहती थी।

फिर मैंने उसकी लकड़ी की नाक  तोड़ दी और उसे मारने लगा।  जब मैंने उसकी नाक तोड़ी तब उसकी नाक का रंग एक लकड़ी के रंग में बदल गया। फिर मै उसे पत्थर मारने लगा पर मेरा निशाना चुकता रहा आखिर मैंने उसे मार कर गिरा ही दिया लेकिन देखते ही देखते वह भूतनी फिर से खड़ी हो गई। भूतनी को मुझ पे गुस्सा आया।  गुस्सा आने के वज़ह से वह एक जादुई मंत्र बोलने लगी।  उसके हाथो में से कुछ धागे निकलने लगे फिर मेरा सपना वही पे ख़त्म हो गया। फिर मै नींद से जाग गया।

Original copy of the write up from diary (page 1 of 2)
Original copy of the write up from diary (page 2 of 2)

Published by aaravraut

मैं अमरावती (महाराष्ट्र) से आरव राउत हूं। मै शुरू से ही एक प्रिंट-समृद्ध वातावरण में बड़ा हुआ, यही कारण था कि पढ़ने और लिखने की दिशा में मेरी प्रवृत्ति विकसित हुई। मेरी मातृभाषा मराठी है। हिंदी दूसरी भाषा है, जिसे मैंने दिल्ली में सुनना और अध्ययन करना शुरू किया जब मेरे पिता महाराष्ट्र से दिल्ली स्थानांतरित हो गए, मैं उस समय केवल 6 वर्ष का था। डायरी के ये पृष्ठ इस अर्थ में बहुत खास हैं क्योंकि यह मेरे द्वारा कक्षा 2 से ही लिखें गए है। मैं एजुकेशन मिरर का सबसे छोटा लेखक हूं जो एक ऑनलाइन शिक्षा संगठन है। जब मेरी दो डायरियाँ प्रकाशित हुईं, तो मैं दूसरी कक्षा में पढ़ रहा था। मैं हिंदी, मराठी के साथ ही अंग्रेजी भाषा में भी लिखता हूं। मुझे यात्रा करना, किताबें पढ़ना और नए विचारों पर काम करना पसंद है। घर पर, मुझे हमेशा अपने मन की बात लिखने की आजादी थी, मैं कभी भी उपदेशक बातें लिखने के लिए मजबूर नहीं था। यही कारण था कि मैंने जल्द ही पढ़ना और लिखना सीख लिया। बचपन में, मैंने लेखन की तकनीकी चीजों को समझा। मुझे याद है कि जब मैं कक्षा 1 (संत मैथ्यूज पब्लिक स्कूल, पश्चिम विहार, दिल्ली) में पढ़ रहा था, तब से मैंने लिखना शुरू किया। पहली बार मैंने 5 अप्रैल 2017 को लिखा था और तब से मैंने कई विषयों पर लिखा और मैंने अपने लेखन के सभी पृष्ठों को संजोकर रखा है। मेरे लेखन की यात्रा के दौरान, मुझे कभी भी किसी भी गलती के लिए बाधित नहीं किया गया था, मेरे माता-पिता चाहते थे कि मैं किसी भी व्याकरण में फंसे बिना लिखूं। इसी बात ने मुझे लिखने के लिए प्रोत्साहित किया क्योंकि मुझे पता था कि अगर कुछ गलत हुआ तो माँ / पिता कुछ नहीं कहेंगे। मैं किसी विषय के बारे में बहुत विस्तार के साथ एक पृष्ठ या कई पृष्ठ लिखता हूं।अगर मेरे द्वारा लिखे गए विषयों को देखा जाए, तो बहुत विविधता है।cc

12 thoughts on “भूतनी का सपना

  1. Great Aarav! Your dream was scary but your cute words made it sweet dream. This is really great that you can remember your dreams and you make it comes true by words. Keep it up Aarav!

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