राजा सुदीर की साहस कथा (Part 3 of 9) 

“महाराज सूर्यकान्त जी मुझे आपकी बहुत जरूरत है क्यों की मेरे राज्य पे खतरा मंडरा रहा है मुझे उग्रदेश के गोटासुर को लेकर उसे पहले जैसा जीन्न बनाना है क्यों की वह किसीको भी ख़तम कर सकता है अगर हमने गोटासुर को जिन्न बना दिया तो मेरे, आपके और हमारे रिश्तेदारो के राज्यो पे कोई खतरा नहीं रहेगा। मैंने आपको इसलिए बुलाया है क्यों की मुझे आप पे सबसे ज्यादा भरोसा है। अगर आप को अपने राज्य की पीढ़ियों तक सुरक्षा चाहिए तो आप ऐसा ही एक गुप्त संदेश मुझे भेजो”

राजा सुदीर की साहस कथा -(Part 2 of 9)

जादूगर  अकरम ग़ुस्से में आकर बोला की मै राजा सुदीर का वफ़ादार जादूगर हु और रही तुम्हारे साथ मिल जाने की बात वो तो मै कभी नहीं करूँगा और वैसे भी मै एक अच्छा जादूगर हु तुम जैसा बुरा नहीं। जादूगर अकरम के  बेइज़्ज़ती करनेसे उनको बहुत ग़ुस्सा आया और उन्होंने अपने जादू से एक कमरा बनाया और उन्होंने जादूगर अकरम को अंदर ले जाकर बहुत मारा, बहुत सवाल पूँछे।

राजा सुदीर की साहस कथा (Part 1 of 9)

यह कहानी का पहला भाग है। इस कहानी को मैंने 9 भागों में बाँटा  है। मुझे इन 9 शब्दों (राजा, शैतान, सेना, प्रजा, हाथी, घोडा, भाला, झंडा, लड़ाई) से  कहानी बनाने का  टास्क मिला था । जिस  कहानी को  मुझे दो पन्नों में लिखना था वह 2 , 3 , 4 , 5 . . . .   करते करते रजिस्टर के 30 पन्नों की बन गयी।