हे पुस्तक मी फेब्रुवारी २०२५ मध्ये वाचले होते, हे माझं नववी च्या वर्षाचं अखेरचं पुस्तक होतं. त्या काळात मी इंग्रजी मधील एनिड ब्लीटनची फेमस फाईव्ह नावाची एकवीस पुस्तकांची शृंखला वाचून राहिलो होतो. हे पुस्तक माझ्या शाळेच्या पुस्तकालया मध्ये होतं, माझ्या बऱ्याच मित्रांनी हे पुस्तक वाचले होते. सर्व म्हणत होते हे पुस्तक खूप छान आहे. मग मी सुद्धा हे पुस्तक वाचायला घेतलं. मला हे पुस्तक लवकरच संपवायचं होतं कारण आमच्या परीक्षा जवळ येऊन राहिल्या होत्या. या पुस्तकाचे लेखक पांडुरंग सदाशिव साने म्हणजेच साने गुरुजी आहे. या पुस्तकात एकंदरीत तीन मुलांची एक अत्यंत भावुक व प्रेमळ कथा आहे. अगोदर मी या गोष्टीचे वर्णन करतो व नंतर माझे या पुस्तका बद्दल मत मांडतो.
Author Archives: aaravraut
उचल्या
‘उचल्या’ हे पुस्तक मी जानेवारी २०२५ मध्ये ‘जुठण’ वाचण्याच्या अगोदर वाचले होते. काही मराठी दलित आत्मकथा मी ऑक्टोबर २०२४ मध्येच वाचल्या होत्या जश्या भुरा, कोल्हाट्याचं पोर, बलुतं, पण ‘उचल्या’ या पुस्तकाचे त्या दरम्यान माझ्याकडून वाचन झालं नाही. मी जवाहर नवोदय विद्यालय झज्जर ला असताना तेथील माझे मराठी चे शिक्षक विशाल सरांनी मला हे पुस्तक सुचवलं होतं.
‘जूठन’ (खंड १ – २)
मैंने यह किताब जनवरी २०२५ में पढ़ना शुरू की थी, जिसे मैंने जल्दी ही पढ़कर ख़त्म कर दी। इस दौरान मैं कई सारी किताबें पढ़ रहा था, जो कि दलित आत्मकथाएँ थीं, जो दलित समाज के संघर्ष पर आधारित थीं, जैसे मराठी में उचल्या, कोल्हाट्याचं पोर, मरण स्वस्त होत आहे, बलूतं, जेव्हा मि जात चोरली, और हिंदी दलित साहित्य में यह मेरी पहली किताब थी जो मैंने पढ़ी। मेरे मराठी के शिक्षक ने मुझे इनमें से कई सारी किताबें पढ़ने का सुझाव दिया था।
राजा सुदीर की साहस कथा -(Part 9 of 9)
जादूगर अकरम अपने सूझबूझ और जादू के सही इस्तेमाल से सभी अंतरिक्ष के जादूगरो को हराता है लेकिन आखरी वाले जादूगर को हराते हराते उसकी पूरी ताकद ख़तम हो जाती है। वह जादूगर उसके ऊपर कई सारे जानलेवा वार करता है लेकिन तभी जादूगर अकरम के दिमाग की बत्ती जलती है और वह तुरंत अपने हाथी को आवाज लगाता है, हाथी तुरंत सुरक्षा कवच से बाहर निकल कर जादूगर अकरम के पास आता है। जादूगर अकरम उसके हाथी को जहर वाला शुरीकेन देता है और कहता है की अपनी सूंड से शुरीकेन को पकड़ो और तेजी से दुश्मन की तरफ फेंको हाथी वैसा ही करता है। अंतरिक्ष का जादूगर शुरिकेन के झटके से नहीं मरता है लेकिन उसके जहर से बच नहीं पाता है।
राजा सुदीर की साहस कथा -(Part 8 of 9)
राजा सुदीर के दिमाग में एक योजना आती है जिससे उग्रराज का पूरा विश्वास हो जाए की अब राजा सुदीर उग्रराज का गोटासुर नहीं लेने वाला है। राजा सुदीर ने उनके जैसे दिखने वाले उनके राज्य के सभी लोगों को उनके महल में बुलाने का आदेश देते है। उनके महल में सिर्फ दोही लोग आए जो जुड़वा भाई थे जिनका नाम किबा और टीबा था। वो दोनों आते ही राजा सुदीर का एक और आदेश आता है कि मुझे मेरे ही जैसा आवाज निकालने वाला आदमी भी चाहिए। थोड़ी देर बाद किबा और टीबा को देखने के लिए खुद महरानी सुर्यांशी आती है मतलब राजा सुदीर की पत्नी, वो देखती है की टीबा की शक्ल राजा सुदीर की शक्ल से ज्यादा मिलती जुलती है और किबा की आवाज राजा सुदीर की आवाज से ज्यादा मिलती जुलती है। तभी राजा सुदीर का आदेश आता है की टीबा को मेरे शाही कपडे पहनने का आदेश दो, उसे घोडे पर बिठाकर उग्रदेश की सिमा पर छोड़ दो और उसको सौम्य देश में आने के लिए कह दो। महल में तुम किबा को राज सिंहासन के पीछे छुपने के लिए कह दो और उसे ये बोलने के लिए कहो की “मेरा सबसे अच्छा दोस्त जादूगर अकरम अब मर गया है और इस वजह से मै गोटासुर को उग्रराज से छीन नहीं पाया और अपने घर वापस आ गया”। ये कहने के बाद टीबा को वहासे जाने के लिए कहना। यह आदेश मिलते ही रानी सुर्यांशी काम पे लगती है।