राजा सुदीर की साहस कथा -(Part 8 of 9)

यह कहानी का आठवां भाग है। इस कहानी को मैंने 9 भागों में बाँटा  है। मुझे इन 9 शब्दों (राजा, शैतान, सेना, प्रजा, हाथी, घोडा, भाला, झंडा, लड़ाई) से  कहानी बनाने का  टास्क मिला था । जिस  कहानी को  मुझे दो पन्नों में लिखना था वह 2 , 3 , 4 , 5 . . . .   करते करते रजिस्टर के 30 पन्नों की बन गयी।  यह 30 पन्ने अचानक नहीं लिखे गये क्योंकि कई बार बिच बिच  में मैंने इस कहानी को लिखना छोड़ दिया था , फिर वह गैप कभी कभी एक दो महीनों की भी हो जाती थी ।  मै  लिखता गया , लिखता गया , लिखता ही गया ……..   और इसी लिखने के सफ़र में एक साल कैसे निकल गया मुझे पता ही नहीं चला।  ऐसे करते करते आख़िरकार इस कहानी को मैंने अंतिम मुक़ाम तक पहुंचा ही दिया। इस कहानी के चित्र मैंने और मेरी मम्मी ने बनाये , जिसे करीबन दो महीने लगे थे। आशा करता हूँ की आप इस कहानी के सारे भाग पढ़ेंगे और इसका लुफ़्त भी उठाएंगे। आपके सुझाव मुझे भविष्य में और बेहतर लिखने के लिए प्रेरणा देंगे। 

आरव राउत

 किबा टीबा का नाटक

तभी जादुई  गुरु गायब हो जाते है और कुछ जादुई  सैनिक आते है। जादुई सैनिको को देखकर जादूगर अकरम को बहुत ग़ुस्सा आता है क्यों की इन्होने ही जादूगर अकरम को मारा था।  जादूगर अकरम उसका गुस्सा रोक नहीं पाता और सीधा शुरिकेन निकाल कर उन्हें फेंक मारता है,  इससे उन्हें बहुत जोर का झटका लगता है। उसके ठीक बाद उस अंतरिक्ष के जमीन की रक्षा करने वाला एक जादूगर ,जादूगर अकरम के सामने आता है।

खतरनाक हथियार शुरीकेन

जादूगर अकरम उसे टेलीपोर्ट होकर शुरिकेन मारकर ख़तम कर देता है। जब वो उसे ख़तम करता है तो उसके ठीक बाद उस जमीन की रखवाली करने वाले जादूगर के ही जैसे २५ और जादूगर आते है।  जादूगर अकरम उन पर अपने सभी जादू इस्तेमाल कर रहा होता है जो उसने सीखे थे। तभी जादूगर अकरम को जादुई गुरु  की एक बात याद आती है की –

“तुम्हे ये जानवर लड़ाई में बहुत मदद करेंगे।”

तभी वो अपने हाथी को बुलाता है और कहता है की तुम बड़े हो जाओ और इन सबको कुचल दो। ये कहते ही हाथी बहुत बड़ा हो कर उन को कुचल देता है।   जादुई गुरु  उसे बोलते है की तुम परीक्षा में सफल रहे हो। ये सुनते ही जादूगर अकरम अपनी असली दुनिया में आ जाता है।

तभी जादूगर अकरम को वहा पर एक जहर वाला शुरिकेन दिखता है, उसे लगता है  की अगर वह शुरिकेन किसी को भी मारेगा तो वो  शुरिकेन के झटके से नहीं भी  मरा तो उसके जहर से जरूर मर जाएगा।  जादूगर अकरम उस शुरिकेन को ऐसा बना देता है की वह फेंकने पर खुद ब खुद उसके पास आ जाए।  इससे सांप भी मरेगा और लाठी भी नहीं टूटेगी।   अब जादूगर अकरम राजा सुदीर के पास जाता है और उससे कहता है की मै जादुई दुनिया से लौट आया हु।

उग्रराज उस क़ीमती हार को अभी तक ढूंढ रहा था लेकिन उसे अपना हार कही नहीं मिला।   एकदम उसे याद आया की गलती से उसने अपना हार उस जासूस को दे दिया था।  यह बात पता चलने से उग्रराज अपने होशो हवास में आ जाता है और मन ही मन खुश हो कर कहता है की अब हार की चिंता तो ख़तम हो गई है क्योकि वो तो मै कभी भी बुलवा सकता हु, बस राजा सुदीर अभी मेरे राज्य को छोड़कर निकल जाए।

राजा सुदीर के दिमाग में  एक योजना आती है जिससे उग्रराज का पूरा विश्वास हो जाए की अब राजा सुदीर उग्रराज का गोटासुर नहीं लेने वाला है।  राजा सुदीर ने उनके जैसे दिखने वाले उनके राज्य के सभी लोगों को उनके महल में बुलाने का आदेश देते है।   उनके महल में सिर्फ दोही लोग आए जो जुड़वा भाई थे जिनका नाम किबा और टीबा था।  वो दोनों आते ही राजा सुदीर का एक और आदेश आता है कि मुझे मेरे ही जैसा आवाज निकालने वाला आदमी भी चाहिए।  थोड़ी देर बाद किबा और टीबा को देखने के लिए खुद महरानी सुर्यांशी आती है मतलब राजा सुदीर की पत्नी, वो देखती है की टीबा की शक्ल राजा सुदीर की शक्ल से ज्यादा मिलती जुलती है और किबा की आवाज राजा सुदीर की आवाज से ज्यादा मिलती जुलती है।  तभी राजा सुदीर  का आदेश आता है की टीबा को मेरे शाही कपडे पहनने  का आदेश दो, उसे घोडे पर बिठाकर उग्रदेश की सिमा पर छोड़ दो और उसको सौम्य देश में आने के लिए कह दो।  महल में तुम किबा को राज सिंहासन के पीछे छुपने के लिए कह दो और उसे ये बोलने के लिए कहो की “मेरा सबसे अच्छा दोस्त जादूगर अकरम अब मर गया है और इस वजह से मै गोटासुर को उग्रराज से छीन  नहीं पाया और अपने घर वापस आ गया”।  ये कहने के बाद टीबा को वहासे जाने के लिए कहना।  यह आदेश मिलते ही  रानी सुर्यांशी काम पे लगती है।

 किबा टीबा का नाटक

यह पूरा नाटक होने के बाद राजा सुदीर ने जैसा सोचा था वैसा ही हुआ। उन्होंने सोचा था की उग्रदेश के सभी जासूस ये खबर सुनते ही खुश हो जाएंगे और दौड़ते दौड़ते उग्रराज के पास जाएंगे और उसे ये खबर सुनाएंगे।  वह खबर सुनके उग्रराज इतना खुश हो जायेगा, इतना खुश हो जायेगा की वो अपने जासूसों को इनाम देने से खुद को रोक नहीं पायेगा। लेकिन अभी उग्रराज के पास इनाम देने के लिए है भी क्या ? अभी तो उसके पास वो बेशकीमती हीरो से लदा हुआ हार भी तो नहीं है, अगर होता तो उसमें से वह एक एक हीरा अपने जासूसों को दे  देता।  इसलिए वह अपने निजी जादुई सैनिकों को कहता है की उस जासूस को ढूंढो  जिसको मैंने बेशुमार हीरो से लदा हुआ हार दिया था। उसको अभी के अभी तुरंत बुलाओ और साथ ही साथ मेरा वह कीमती हीरों से लदा हुआ हार भी। यह सुनकर उग्रराज के निजी जादुई सैनिक उस जासूस को ढूंढने में जी जान से जुट जाते है।

कुछ ही देर बाद उग्रराज के निजी जादुई सैनिकों को ये पता चलता है कि वह जासूस उग्रदेश में है ही नहीं।यह खबर जादुई  सैनिकों को  उग्रराज  को देने में डर लगता है, क्योंकि उन्हें पता था की वो बेशुमार हीरों से लदा हुआ हार कितना कीमती था और अगर उन्होंने ये बात उग्रराज को बता दी तो उसका ग़ुस्सा वह रोक नहीं पायेगा और उसी वक्त जादुई सैनिकों का सर कलम कर देगा।  इस वजह से  उग्रराज के निजी जादुई सैनिकों ने सोचा की क्यों ना हम राजा सुदीर के सैनिक बन जाये क्योंकि वह राजा भी अच्छा है और उग्रराज से भी बच जाएंगे।  जब उग्रराज के सभी निजी जादुई सैनिक राजा सुदीर के पास पहुंचे तो उन्होंने यह पूछा की तुम यहाँ पर क्यों आए हो ? 

सभी बताते है की हम उग्रराज के निजी जादुई सैनिक है, उसने हमें आदेश दिया था की तुम एक जासूस को ढूंढ के लाओ। तो हमने उस जासूस को ढूंढना शुरू किया लेकिन हमें बादमे पता चला कि वह जासूस उग्रदेश में है ही नहीं।  उस जासूस ने उग्रराज का एक क़ीमती हीरो से लदा बेशकीमती हार चुरा लिया था। अगर हम खाली हाथ लौटते है तो उग्रराज हमारा सर कलम कर देगा। इसलिए हम आपके शरण में आये है। 

निजी जादुई सैनिक
राजा सुदीर

यह बात सुनकर राजा सुदीर को उनपर दया आयी। आगे वह कहते है की हमें आपका निजी सैनिक बनकर आपकी सुरक्षा करनी है।  यह सुनकर राजा सुदीर को बहुत अच्छा लगता है।  उनमें से जो सबसे छोटा जादुई सैनिक था जिसका नाम हाचि था।  उसको राजा सुदीर कि एक परेशानी पता थी। और वह परेशानी थी  उग्रराज के जादुई महल में जो कदम कदम पे जादुई जाल थे।  इसी वक्त सभी उग्रराज के निजी जादुई सैनिक बोलते है की हमें आपका निजी सैनिक बनना है।  राजा सुदीर इस बात के लिए हामी भरते है और कहते है एक शर्त पर तुम्हे मै अपना निजी सैनिक बनाऊंगा। वो शर्त है तुम्हे हर वक्त मेरे साथ रहना पड़ेगा।  सभी तुरंत जवाब देते ठीक है। 

कुछ देर बाद राजा सुदीर खिड़की के पास खड़े होकर सोचने लगते है की वो जादुई जाल जो उग्रराज के महल में है वो कितने शक्तिशाली होंगे और मै उसे कैसे पार करूंगा ? राजा सुदीर को ऐसे सोचते हुए देख  हाचि पूछता है – क्या आप जादुई जाल के बारे में सोच रहे है ? राजा सुदीर बोलते है की हाँ, लेकिन मै उसे पार कैसे करूं ?  हाचि बोलता है की आपको वो जादुई जाल पार करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि मुझे उग्रराज के जादुई महल में हर जगह जाने का एक सुरक्षित रास्ता पता है और अगर आप चाहे तो मै आपको एक सुरक्षित रास्ते का नक्शा देता हूँ जो उग्रराज के महल के बीचो बीच भी पहुंचाए और उग्रराज के कमरे तक भी। राजा सुदीर बोले नहीं,  मैंने महल के बीचो बीच जाने के लिए सुरंग खुदवा रखी है। तभी हाचि राजा सुदीर को बोलता है की वह जादुई जाल महल के नीचे भी है। राजा सुदीर बोले नहीं, तुम झूठ बोल रहे हो।  अगर ऐसा होता तो सुरंग खोदने वालों की अभी तक मौत हो जाती।  हाचि बोलता है की मै सच बोल रहा हूँ मै खुद उस महल में रह चूका हूँ तो  मुझे ये सब पता नहीं होगा क्या ? अगर आपको दूध का दूध और पानी का पानी करना हो तो आप उन सुरंगो में अपने सैनिकों को भेजकर देखें। राजा सुदीर ने तुरंत अपने सैनिकों को सुरंग की दिशा में भेजा।  उसके सैनिकों ने वहां पर थोड़ी छानबीन की तभी उन्हें एक गुफा मिली।  वह सभी गुफा के अंदर गए।  कुछ ही पलों बाद उन्हें कुछ लाशें मिली और उनके हाथ में खुदाई करने का सारा सामान था। 

खुदाई करने वाले लोगो की सुरंग में मिली लाशें

सभी सैनिक तुरंत राजा सुदीर के पास आते है  और उन्हें बताते है की हमें कुछ खुदाई करने वाले लोगों की लाशें मिली जिनके हाथ में खुदाई का सामान था। यह सुनकर राजा सुदीर को हाचि पर धीरे धीरे भरोसा होने लगा। 

तभी वहां पर जादूगर अकरम आता है।  राजा सुदीर जादूगर अकरम को देखकर बहुत खुश होते है और दोनों एक दूसरे के गले मिलते है। तभी राजा सुदीर देखते है कि जादूगर अकरम के साथ एक हाथी का बच्चा भी आया है। राजा सुदीर पूछते है की ये हाथी का बच्चा तुम्हारे साथ यहां पर क्या कर रहा है ? जादूगर अकरम तुरंत जवाब देता है की ये मेरा पालतू जादुई हाथी है, ये कुछ भी कर सकता है।  राजा सुदीर जादूगर अकरम को कहता है कि ध्यान से सुनो हमारे पास बस एक रात है, अगले दिन ही हमें इस गुप्त जगह से निकल कर उग्रराज के महल में जाना है।राजा सुदीर कहते है की मै एक निजी जादुई सैनिक जिसका नाम हाचि है उसको अपने साथ रखूँगा जो हमें एक सुरक्षित रास्ता बताएगा।  हमारे बाकी के सैनिक पूरे महल के अंदर अलग अलग जगहों पर छुप जाएंगे। अब बस हमें अच्छे से काम करना है। यह कहने के बाद सभी लोग सो जाते है और वह रात भी बीत जाती है। 

अगले और अंतिम भाग में पढ़िए – जादूगर अकरम और अंतरिक्ष के रखवालो के बीच घमासान लढाई

 

Published by aaravraut

मैं अमरावती (महाराष्ट्र) से आरव राउत हूं। मै शुरू से ही एक प्रिंट-समृद्ध वातावरण में बड़ा हुआ, यही कारण था कि पढ़ने और लिखने की दिशा में मेरी प्रवृत्ति विकसित हुई। मेरी मातृभाषा मराठी है। हिंदी दूसरी भाषा है, जिसे मैंने दिल्ली में सुनना और अध्ययन करना शुरू किया जब मेरे पिता महाराष्ट्र से दिल्ली स्थानांतरित हो गए, मैं उस समय केवल 6 वर्ष का था। डायरी के ये पृष्ठ इस अर्थ में बहुत खास हैं क्योंकि यह मेरे द्वारा कक्षा 2 से ही लिखें गए है। मैं एजुकेशन मिरर का सबसे छोटा लेखक हूं जो एक ऑनलाइन शिक्षा संगठन है। जब मेरी दो डायरियाँ प्रकाशित हुईं, तो मैं दूसरी कक्षा में पढ़ रहा था। मैं हिंदी, मराठी के साथ ही अंग्रेजी भाषा में भी लिखता हूं। मुझे यात्रा करना, किताबें पढ़ना और नए विचारों पर काम करना पसंद है। घर पर, मुझे हमेशा अपने मन की बात लिखने की आजादी थी, मैं कभी भी उपदेशक बातें लिखने के लिए मजबूर नहीं था। यही कारण था कि मैंने जल्द ही पढ़ना और लिखना सीख लिया। बचपन में, मैंने लेखन की तकनीकी चीजों को समझा। मुझे याद है कि जब मैं कक्षा 1 (संत मैथ्यूज पब्लिक स्कूल, पश्चिम विहार, दिल्ली) में पढ़ रहा था, तब से मैंने लिखना शुरू किया। पहली बार मैंने 5 अप्रैल 2017 को लिखा था और तब से मैंने कई विषयों पर लिखा और मैंने अपने लेखन के सभी पृष्ठों को संजोकर रखा है। मेरे लेखन की यात्रा के दौरान, मुझे कभी भी किसी भी गलती के लिए बाधित नहीं किया गया था, मेरे माता-पिता चाहते थे कि मैं किसी भी व्याकरण में फंसे बिना लिखूं। इसी बात ने मुझे लिखने के लिए प्रोत्साहित किया क्योंकि मुझे पता था कि अगर कुछ गलत हुआ तो माँ / पिता कुछ नहीं कहेंगे। मैं किसी विषय के बारे में बहुत विस्तार के साथ एक पृष्ठ या कई पृष्ठ लिखता हूं।अगर मेरे द्वारा लिखे गए विषयों को देखा जाए, तो बहुत विविधता है।cc

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