राजा सुदीर की साहस कथा -(Part 7 of 9)

जादुई दुनिया में जादूगर अकरम

यह कहानी का सातवां भाग है। इस कहानी को मैंने 9 भागों में बाँटा  है। मुझे इन 9 शब्दों (राजा, शैतान, सेना, प्रजा, हाथी, घोडा, भाला, झंडा, लड़ाई) से  कहानी बनाने का  टास्क मिला था । जिस  कहानी को  मुझे दो पन्नों में लिखना था वह 2 , 3 , 4 , 5 . . . .   करते करते रजिस्टर के 30 पन्नों की बन गयी।  यह 30 पन्ने अचानक नहीं लिखे गये क्योंकि कई बार बिच बिच  में मैंने इस कहानी को लिखना छोड़ दिया था , फिर वह गैप कभी कभी एक दो महीनों की भी हो जाती थी ।  मै  लिखता गया , लिखता गया , लिखता ही गया ……..   और इसी लिखने के सफ़र में एक साल कैसे निकल गया मुझे पता ही नहीं चला।  ऐसे करते करते आख़िरकार इस कहानी को मैंने अंतिम मुक़ाम तक पहुंचा ही दिया। इस कहानी के चित्र मैंने और मेरी मम्मी ने बनाये , जिसे करीबन दो महीने लगे थे। आशा करता हूँ की आप इस कहानी के सारे भाग पढ़ेंगे और इसका लुफ़्त भी उठाएंगे। आपके सुझाव मुझे भविष्य में और बेहतर लिखने के लिए प्रेरणा देंगे।

आरव राउत

जादुई दुनिया में जादूगर अकरम

फिर जादूगर अकरम पूरी जादुई दुनिया घूमने जाता है।  जादूगर अकरम को कुछ जादुई शिष्य दिखते है जो उसे कहते है की इधर तुम जितना भी वक्त रहोगे, लेकिन एक दिन से ज्यादा नहीं रह पाओगे क्योंकि जादुई दुनिया में वक्त बहुत धीरे चलता है।  जादूगर अकरम वहा से थोड़ा दूर चला आता है लेकिन तभी उसके सामने दो जादुई शिष्य एक बार और आते है और कहते है की हम  यहां पर अभी अभी आए है हमें आपसे दोस्ती करनी है क्योंकी आप भी यहाँ पर अभी अभी आए है।  जादूगर अकरम दोनों  के साथ वहा पर बहुत अच्छे से रहता है और बहुत कुछ नया सिखता है।  अगले दिन जादूगर अपने टाइम टेबल पे देखता है की उसपे क्या आया है तो उसने देखा की उसे जादूई  गुरु के पास “जादुई शुरिकेन” जो सभी जादूगरों का सबसे ताकतवर हथियार है उसे कैसे चलाते है और उससे कैसे बचते है ये सीखने के लिए जाना है। फिर जादूगर अकरम उन दोनों जादुई शिष्य को बताता है की हमें कोई चीज सीखने के लिए जादुई गुरु  के पास जाना है।  यह सुनते ही वह दोनों झट से तैयार हो कर जादूगर अकरम के साथ जादुई गुरु  के पास जाते  है।  वहा पर बहुत सारे जादुई शुरिकेन रखे हुए थे जिसे जादूगर हाथ लगाकर देखता है तभी उसको एक जोर का झटका लगता है और वो बेहोश हो जाता है।

खतरनाक हथियार शुरीकेन

थोड़ी देर के बाद वो होश में आ जाता है। उसे पानी पिलाया जाता है। थोड़ी दुरी पर एक उग्रदेश का जासूस रहता है  जीसने जादूगर अकरम को पहचान लिया था की ये राजा सुदीर के राज्य का जादूगर है और यही जादूगर राजा सुदीर को गोटासुर को छुड़ाने में मदत करने वाला है, तो उसने सोचा की अगर मै उग्रराज को ये खबर दूंगा की जादूगर अकरम मर गया है तो उग्रराज मुझे बहुत बडा इनाम देगा और झूट पकड़े जाने से पहले मै उग्रदेश को छोड़कर किसी दूसरे राज्य में चला जाऊंगा और अमीरो की तरह रहुंगा।  यह सोचते हुए की इनाम में क्या मिलेगा वह जासूस उग्रराज को ये खबर देने चला और उसने ये खबर उग्रराज को बता भी दी।  ये खबर सुनते ही उग्रराज ख़ुशी से पागल हो गया और इस ख़ुशी में अनजाने में उग्रराज ने उस जासूस को उसके दादा जी ने दिया हुआ एक हीरो से लदा हुआ बेशक़ीमती हार दे दिया। ज्यादा ख़ुश न होकर वह जासूस कीमती हार और अपने परिवार को लेकर चुपके से उग्रदेशसे रफूचक्कर हो जाता है। उसके जाने के चंद पलों बाद ही उग्रराज ऐलान कर देता है कि जादूगर अकरम मर गया है। ये सब बाते राजा सुदीर के जासूसों ने सुन ली और तुरंत राजा सुदीर को बता दिया की जादूगर अकरम मर गया है। उधर उग्रराज मन ही मन खुश होते हुए सोचता है की ये खबर राजा सुदीर को जब पता चलेगी तो वो फुट फुट कर रोएगा और गोटासुर को छुड़ाने का विचार मन से निकाल देगा। क्योकि एक तरह से उसका एक हाथ ही मर गया है। बस एक ही आदमी को इस पड़दे के पीछे की सच्चाई पता थी की जादूगर अभी जिन्दा है वो था उस जासूस का दोस्त।  उसने अच्छाई दिखाते हुए राजा सुदीर को बता दिया की जादूगर अकरम अभी जिन्दा है बस उग्रदेश के जासूस ने उग्रराज से झूठ बोला था।  इस बात से राजा सुदीर के जान में जान आती है।

जादुई दुनिया में जादूगर अकरम का प्रशिक्षण जारी था।  जहा किसी दिन जादूगर अकरम को उस जादुई शुरिकेन को हाथ लगाने से एक जोर का झटका लगता था अभी वो उसको हाथ में लेकर उससे निशाना लगाके मारना,  यहाँ तक की उस हथियार से बचना भी आ गया था और अगर उसे वो हथियार गलती से भी लगा तो उसे कुछ नहीं होता। जादुई गुरु  के पास आकर उसको एक और नया जादू सीखने को मिला, जो था – एक बिजली के गोले से किसी को भी मार सकना।  

अगले दिन जब जादूगर अकरम अपने दोस्तों के साथ जादुई गुरु  के पास गया तब उसने देखा की वहां पर बहुत सारे अलग अलग प्रकार के जानवर थे। जैसे हाथी, शेर, सांप, मैना, पफर फिश और बहुत सारे। जादुई गुरु  ने जादूगर अकरम को कहा की अगर तुम्हे सबसे अच्छा और ताकतवर जादूगर बनना है  तो तुम्हे एक जानवर पालना ही होगा जो खुद भी जादुई हो, इससे तुम्हें दुश्मनों को हराने में मदद मिलेगी।  अब तुम इनमे से अपनी मर्जी से कोई भी जादुई जानवर चुन सकते हो।  जादूगर अकरम सोचता है की उसके  लिए हाथी ही ठीक रहेगा। वो जादुई  गुरु को कहता है की उसे जादुई हाथी चाहिए।

जादुई हाथी

जादुई गुरु  वो हाथी देते हुए कहते है की अब इस हाथी के खाने पीने की जिम्मेदारियों से लेकर उसके प्रशिक्षण की जिम्मेदारी तुम्हारी है।  जादूगर अकरम ने जो हाथी लिया था वो एक बच्चा था और बहुत सुन्दर भी था।  उस हाथी को अभी उड़ना नहीं आता था क्यों की वो इस काम के लिए बहुत छोटा था। इसलिए जादूगर  अकरम उसे अपने जादू से उठाकर अपने घर ले आता है और अपने घर के बाजु में ही जादूगर अकरम अपने हाथी के लिए एक घर बनाता है।  फिर जादूगर अकरम जादुई दुनिया में अपने जादू से हाथी के घर के आस पास एक गन्ने का खेत उगाता है और कुछ गन्ने तोड़कर उस हाथी के घर में रखता है और उस हाथी को उसके नए घर में ले जाता है और खाना खिलाता है।  जादूगर अकरम सोचता है  कि कल से इस हाथी का प्रशिक्षण शुरू करना होगा।  अगले दिन जब वह हाथी के घर में देखता है तो वहा पर हाथी नहीं होता है,  जादूगर अकरम उस हाथी को हर संभव जगह पर देखता है लेकिन उसे वह हाथी नहीं मिलता।   जब वह ऊपर की तरफ देखता है तो उसे वह हाथी उसके ठीक ऊपर उड़ रहा दिखता है।   वह अपने दोस्तों से पूंछता है की ये हाथी उड़ने कैसे लगा ?  तो वे कहते है उन्होंने इसे उड़ना सिखाया है।  तभी वो हाथी नीचे आता है और जादूगर अकरम के पास जाता है।  अब जादूगर उस हाथी को सब कुछ सीखाने लगता है।  

अगले दिन जादूगर अकरम अपने दोस्तों के साथ जादुई गुरु  के पास जाता है क्योंकि जादूगर अकरम को पता था की आज जादुई गुरु  उसे कुछ नया और अनोखा जादू सीखाने वाले है।  जब वो लोग वहा पहुंचते  है तब वहां पर कोई  नहीं होता है, तभी अचानक जादूगर अकरम हवा में एक शुरीकेन  देखता है और कुछ ही पलो में वह शुरीकेन  जादूगर अकरम  की तरफ तेजी से आता है लेकिन जादूगर  अकरम उस  शुरीकेन को बहुत ही सफाई से पकड़ लेता है और जहासे वो शुरीकेन आया है वहा पे तेजी से मारता है,  पर उस शुरीकेन के हवा में ही तुकडे तुकडे हो जाते है।  उसी वक़्त, जहां जादूगर अकरम  वो शुरीकेन फेंकता है  वही पर जादुई गुरु  प्रकट होते है।  जादूगर अकरम पूछता है की ये आपने कैसे किया ?  जादुई गुरु  कहते है  तुम जो अभी यहाँ पर सीखने आए हो ये वही है।  जादूगर अकरम कहता है कि इससे शुरिकेन जो सबसे ताकतवर हथियार है,  वो भी पलक झपकते ही  चूर चूर हो गया है।  जादूगर अकरम यह जादू जल्दी ही सीख जाता है।  

जादूगर अकरम

उसके बाद वो अपने हाथी को सीखाने लगता है और  कुछ देर के बाद वह हाथी कुछ ऐसा जादू सीख जाता है जिससे वह बहुत बड़ा और बहुत छोटा हो सकता है।  सुबह सुबह जब जादूगर अकरम टाइम टेबल देखता है उसमें होता है “तुम्हे जादुई  गुरु ने अभी बुलाया है”  तो जादूगर अकरम बिना देरी किये जादुई गुरु  के पास जाता है।  जादुई  गुरु कहते है की अब तुम्हें इन डिब्बियों की कोई जरूरत नहीं है क्योंकी आज तुम उड़ना,  पानी के अंदर तैरणा और फिरसे जमीन पे आना इन सबका नया जादू सीखने वाले हो।  जादूगर अकरम वह जादू जल्दी ही सिख जाता है। अब वो अपने मन से बिना डिब्बियों से उड़ सकता है, पानी के अंदर तैर सकता है और जमीन पे वापस भी आ सकता है।  अगले दिन उसके टाइम टेबल पर एक चीज लिख के आती है की –

“आज तुम्हे एक खास जादू सिखाया जाने वाला है और इसके बाद तुम्हारी एक परीक्षा होने वाली है।”

जादूगर अकरम वह पढ़कर जादुई गुरु  के पास जाता है।  जादुई गुरु उसे कहते है की आज मै तुम्हे टेलीपोर्ट होने का जादू सीखाने वाला हु।  कुछ ही देर में जादूगर वो जादू सीख लेता है तभी जादुई गुरु कहता है की अब तुम्हारी परीक्षा लेने का समय आ गया है।

अगले भाग में पढ़िए – किबा टीबा का नाटक

Published by aaravraut

मैं अमरावती (महाराष्ट्र) से आरव राउत हूं। मै शुरू से ही एक प्रिंट-समृद्ध वातावरण में बड़ा हुआ, यही कारण था कि पढ़ने और लिखने की दिशा में मेरी प्रवृत्ति विकसित हुई। मेरी मातृभाषा मराठी है। हिंदी दूसरी भाषा है, जिसे मैंने दिल्ली में सुनना और अध्ययन करना शुरू किया जब मेरे पिता महाराष्ट्र से दिल्ली स्थानांतरित हो गए, मैं उस समय केवल 6 वर्ष का था। डायरी के ये पृष्ठ इस अर्थ में बहुत खास हैं क्योंकि यह मेरे द्वारा कक्षा 2 से ही लिखें गए है। मैं एजुकेशन मिरर का सबसे छोटा लेखक हूं जो एक ऑनलाइन शिक्षा संगठन है। जब मेरी दो डायरियाँ प्रकाशित हुईं, तो मैं दूसरी कक्षा में पढ़ रहा था। मैं हिंदी, मराठी के साथ ही अंग्रेजी भाषा में भी लिखता हूं। मुझे यात्रा करना, किताबें पढ़ना और नए विचारों पर काम करना पसंद है। घर पर, मुझे हमेशा अपने मन की बात लिखने की आजादी थी, मैं कभी भी उपदेशक बातें लिखने के लिए मजबूर नहीं था। यही कारण था कि मैंने जल्द ही पढ़ना और लिखना सीख लिया। बचपन में, मैंने लेखन की तकनीकी चीजों को समझा। मुझे याद है कि जब मैं कक्षा 1 (संत मैथ्यूज पब्लिक स्कूल, पश्चिम विहार, दिल्ली) में पढ़ रहा था, तब से मैंने लिखना शुरू किया। पहली बार मैंने 5 अप्रैल 2017 को लिखा था और तब से मैंने कई विषयों पर लिखा और मैंने अपने लेखन के सभी पृष्ठों को संजोकर रखा है। मेरे लेखन की यात्रा के दौरान, मुझे कभी भी किसी भी गलती के लिए बाधित नहीं किया गया था, मेरे माता-पिता चाहते थे कि मैं किसी भी व्याकरण में फंसे बिना लिखूं। इसी बात ने मुझे लिखने के लिए प्रोत्साहित किया क्योंकि मुझे पता था कि अगर कुछ गलत हुआ तो माँ / पिता कुछ नहीं कहेंगे। मैं किसी विषय के बारे में बहुत विस्तार के साथ एक पृष्ठ या कई पृष्ठ लिखता हूं।अगर मेरे द्वारा लिखे गए विषयों को देखा जाए, तो बहुत विविधता है।cc

8 thoughts on “राजा सुदीर की साहस कथा -(Part 7 of 9)

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    राजा सुदीर की साहस कथा -(Part 7 of 9)

    जादुई दुनिया में जादूगर अकरम

    यह कहानी का सातवां भाग है। इस कहानी को मैंने 9 भागों में बाँटा है। मुझे इन 9 शब्दों (राजा, शैतान, सेना, प्रजा, हाथी, घोडा, भाला, झंडा, लड़ाई) से कहानी बनाने का टास्क मिला था । जिस कहानी को मुझे दो पन्नों में लिखना था वह 2 , 3 , 4 , 5 . . . . करते करते रजिस्टर के 30 पन्नों की बन गयी। यह 30 पन्ने अचानक नहीं लिखे गये क्योंकि कई बार बिच बिच में मैंने इस कहानी को लिखना छोड़ दिया था , फिर वह गैप कभी कभी एक दो महीनों की भी हो जाती थी । मै लिखता गया , लिखता गया , लिखता ही गया …….. और इसी लिखने के सफ़र में एक साल कैसे निकल गया मुझे पता ही नहीं चला। ऐसे करते करते आख़िरकार इस कहानी को मैंने अंतिम मुक़ाम तक पहुंचा ही दिया। इस कहानी के चित्र मैंने और मेरी मम्मी ने बनाये , जिसे करीबन दो महीने लगे थे। आशा करता हूँ की आप इस कहानी के सारे भाग पढ़ेंगे और इसका लुफ़्त भी उठाएंगे। आपके सुझाव मुझे भविष्य में और बेहतर लिखने के लिए प्रेरणा देंगे।

    आरव राउत

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  2. Interesting and well written part of story ..👍… Very very good 👍 Excited for next part…. 👌Keep it up Aarav 👍

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